केंद्र सरकार बजट सत्र के दूसरे चरण में प्राचीन स्मारक, पुरातत्व स्थल एवं अवशेष (संशोधन) विधेयक कोफिर से पेश करने की तैयारी में है. दिल्ली में एक कार्यक्रम के इतर पत्रकारों से बात करते हुए, केंद्रीय संस्कृतिमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि AMASR (Amendment) Act के मसौदे पर चर्चा अंतिम चरण में है औरकानून अगले महीने की शुरुआत में संसद में पेश किया जाएगा. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आगामी संशोधन स्मारकों की एक नई परिभाषा देने की कोशिश करेगा. वर्तमान में, एक स्मारक को कम से कम100 वर्ष पुराना होना चाहिए.
सूत्रों का कहना है कि सरकार इस बेंचमार्क को बदलने पर विचार कर रही है, क्योंकि भारत में प्राचीन स्मारकोंका खजाना है, जबकि अधिकांश ‘100 साल पुराने स्मारक’ अंग्रेजों के समय के हैं. यह सरकार के’औपनिवेशिक अतीत’ को पीछे छोड़ने की इच्छा के अनुरूप होगा, जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी अमृत काल यास्वतंत्रता के 75 वर्षों को चिह्नित करने के लिए विभिन्न मंचों पर इसके बारे में बात करते रहे हैं कि हमें ‘गुलामीकी मानसिकता’ से बाहर आना होगा. देश की भावना के अनुसार ‘राष्ट्रीय महत्व’ को फिर से परिभाषित करनेकी भी संभावना है, क्योंकि अधिकांश केंद्रीय संरक्षित स्मारकों को ब्रिटिश शासन के दौरान ‘राष्ट्रीय महत्व’ कीसूची में शामिल किया गया था, तब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की स्थापना भी नहीं हुई थी.